राज्य सरकार ने पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के खिलाफ रामपुर में दर्ज एक दर्जन आपराधिक मामलों में मिली जमानत को निरस्त करने की इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सरकार की इस जमानत निरस्तीकरण अर्जी पर कोर्ट में दो फरवरी को सुनवाई होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है।

आजम खान के खिलाफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जरिए अवैध रूप से जमीन खरीदने सहित दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई मामलों में जमानत पर रिहा करने का आदेश मिला है। इसे निरस्त करने की अर्जी दाखिल की गई है जो कोर्ट में विचाराधीन है।

आचार संहिता उल्लंघन के मामले में पूर्व सांसद की चार्जशीट तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आचार संहिता उल्लघंन के मामले में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया केस की चार्जशीट तलब की है। प्रकरण फूलपुर के पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया का है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है। याची का कहना है कि आचार संहिता उल्लंघन और शांति भंग मामले में छह महीने की सजा हो सकती है। याची के खिलाफ 2014 के एक केस में मजिस्ट्रेट ने 2016 में संज्ञान लिया है, जो काल बाधित होने के कारण विधि विरुद्ध है, जिसे रद किया जाए। इस पर कोर्ट ने याची अधिवक्ता को केस की आर्डर सीट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अध्यापिका की कोरोना से मौत पर डीएम को मुआवजा पर निर्णय लेने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड के कारण पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी करते हुए अध्यापिका की मौत पर जिलाधिकारी जौनपुर को उसके परिजनों को मुआवजे के भुगतान पर तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने आर्यन श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची की मां चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना ग्रसित हो गईं, जिसकी काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में इलाज के दौरान दो मई 2021 को मौत हो गई। याचिका दाखिल कर एक जून 2021 के सरकारी शासनादेश के तहत मुआवजे की मांग की गई। कहा गया है कि इस शासनादेश पर विचार भी हुआ, किंतु कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर की बर्खास्तगी आदेश पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रेटर नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गौतमबुद्ध नगर के प्रोफेसर मोहम्मद असगर जैदी की बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है। बशर्ते उनके स्थान पर किसी ने कार्यभार ग्रहण न कर लिया हो। कोर्ट ने इसी के साथ विपक्षी से जवाब मांगा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने दिया है। याचिका पर अधिवक्ता का कहना है कि संस्थान के डायरेक्टर ने 21 सितंबर 2020 को बर्खास्त कर दिया था। इसकी वैधता को चुनौती दी गई है। बिना कुलपति की अनुमति के बर्खास्तगी अवैध है। कहा गया है कि कि बर्खास्तगी आदेश से पूर्व उसे पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। कहा गया है कि बर्खास्तगी आदेश गैरकानूनी है।

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